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Young Generation Ke Bhagwan

225.00

यह कहानी एक ही ध्येय को लेकर चलती है, की ईश्वर ( या उस सुपर पावर ) का कुछ भी नाम हो उसी इंसान की मदद करते हैं , जो पहले स्वयं अपनी मदद करते हैं । हार कर थक कर बैठ जाने वाले की मदद तो ईश्वर भी नहीं कर सकते । इस कहानी का सार गीता के उस ज्ञान से भी जुड़ा है जो बोलता है , की स्वयं ईश्वर को भी इस धरती लोक पर जनम लेने के बाद अपने सारे करम पूरे करने पड़े हैं । हमें अपने सभी स्वच्छ करम ईश्वर को समर्पित करने हैं , तभी हमें अच्छे और नेक कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी । इस कहानी का मुख्य पात्र एक नायिका है जो बनारस से मुंबई महानगरी में अपना भाग्य बनाने आती है , और अलग अलग स्वार्थी लोगो के स्वार्य में फंस कर आत्म हत्या तक उतारू हो जाती है । यही कहानी में ईश्वर का प्रवेश होता है , किन्तु इस कहानी में ईश्वर कुछ भी असाध्य काम स्वयं से ना कर के कहानी की नायिका से करवाते हैं , और उसे खुद उसकी शक्ति याद करवाते हैं । यहाँ लेखक ने अवचेतन मन की अवधारणा को विस्तृत किया है । शेष पढ़ने पर आपको अवश्य ही आनंद आएगा ।

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