Bandook ki Tabahi

179.00

“नहीं प्यारे गोले। हमारे जीते जी ये नहीं हो सकता कि कोई होशांगा जैसा अपराधी दुनिया पर राज करे।” कार्तिकेय दृढ स्वर में बोला। इसके साथ ही कार्तिकेय वहीं नीचे जमीन पर बैठ गया और किसी गहरी सोच में डूब गया। अब वहाँ छाया था एक सन्नाटा। ये सन्नाटा कार्तिकेय, लक्ष्य और धनुषठंकार के मस्तिष्क में ज्यादा गहरा था। बाहर इस सन्नाटे को तोड़ रही थी जूतों की आवाज। वो आवाज, जो गार्ड्स के चलने से आ रही थी। नियमित अंतराल से वो आवाज मानो हर बार बढ़ते रानाठे को खत्म कर देती थी। होशांगा का दुनिया पर राज करने का सपना पूरा होने को है। इस बार उसने तैयार किया है एक ऐसा हथियार जिसे दुनिया हथियार के रूप में सोच भी न पाए। बिजली। जी हाँ बिजली, जो लोगों के जीवन में रोशनी लाती है, उसे ही अपना हथियार बना कर लाया है इस बार होशांगा। क्या हमारे देश के जाँबाज सिपाही इस बार उसे रोक पायेंगे, या फिर इस बार वो अपने मकसद में कामयाब हो जाएगा। जानने के लिए पेश है – बंदूक की तबाही

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