Ashtang Yogpath
₹199.00
योग को मात्र आसन व प्राणायाम अथवा ध्यान तक सीमित कर देना न्यायसंगत नहीं है और न ही व्यावहारिक। यम से समाधि तक की संपूर्ण याला क्रमबद्ध ढंग से जुड़ी है जिसके प्रणेता महर्षि पतंजलि हैं। इसलिए अष्टांग योगपथ के हर अंग की उत्तरोत्तर समझ व अनुपालन योगाभ्यासियों के शारीरिक, मानसिक व आत्मिक उन्नयन में मील का पत्थर सिद्ध होंगे। प्रस्तुत ‘अष्टांग योगपथ’ केवल सैद्धांतिक शब्द-रचना नहीं है अपितु 29-30 वर्षों के अनुभवों व प्रयोगों के पश्चात् निःसृत यह सारगर्भित योगविद्या है। आसन व प्राणायाम के संतुलित व सतत अभ्यास से शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य उत्तम रहता है। परन्तु आत्मिक संतुष्टि, शांति व समाधान की प्राप्ति ध्यान-समाधि की क्रमबद्ध अवस्था से ही संभव है। ‘अष्टांग योगपथ’ पुस्तक का यही उद्देश्य है।
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