Prawah

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प्रवाह बहाव को कहते है। कवि अपने चिंतन, मनन, भावावेगों, अनुभूतियों एवं अनुभवो की आक्षरय के बहाव में चल पड़े हैं। सुक्ष्म और सुंदर अनुभूतियों एवं विलक्षण अनुभव को संजोए यह एक यात्ना है। कवि अपने विविध भावनाओं को साक्षी रख अपने यातना वृत्तांत लिपिबद्ध करते हैं। कुछ खोए संस्मरण, कुछ नये समीकरण, कुछ संग्रहीत अनुभूतियों एवं जीवन नैया पर संकलित भाव विसतार है। पाठक रस आस्वादन करेंगें यही आशा है।

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