Academic
Bhawani Prasad Mishr Ka Kavya – Samvedna Aur Shilp
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भवानी प्रसाद मिश्र आधुनिक हिन्दी कविता की प्रयोगवादी काव्यधारा के कवि माने गये है। अज्ञेय द्वारा सम्पादित ‘दूसरा सप्तक’ में उन्हें प्रथम कवि के रूप में समादत किया गया है। ‘दूसरा सप्तक’ 1951 में प्रकाशित हुआ। उस समय हिन्दी कविता में प्रयोगवादी कवियों का स्वर गूंज रहा था। ‘तार सप्तक’ के कवि और प्रख्यात आलोचक डॉ. राम विलास शर्मा का मत है कि प्रयोगवाद की शुरुआत वस्तुतः 1947 में अज्ञेय द्वारा ‘प्रतीक’ में हुई। इससे पूर्व की हिन्दी कविता में प्रयोगवादी कविता के स्पष्ट लक्षण नहीं मिलते है।
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